एक कहानी दस सीख


एक कहानी दस सीख

(One Story Ten Morals)

कछुआ और खरगोश (Modern)

Hare and Tortoise (Modern)

कछुए और खरगोश कि कहानी हमने बचपन से लेकर आज तक कही बार सुनी होगी | अगर सिखना चाहे तो इस कहानी से हम बहुत कुछ सिख सकते है, हालाँकि आज ये कहानी ज्यादातर लोगों को बोर करती है, लेकिन आज मैं आपको इस कहानी का २१वीं शताब्दी का नया संस्करण बताता हूँ, जो आपको जीवन में आने वाली बहुत सारी कठिनाइयों में सहायता करेगी और आपको एक नया रास्ता दिखाएगी.
पुरानी कहानी यह है कि, कछुए और खरगोश में दौड़ हुई | खरगोश ने सोचा कि ये सुस्त कछुआ क्या दौड़ेगा. और खरगोश अपने बहुत ज्यादा आत्मविश्वास के कारण हार गया और कछुआ अपने लगातार धीरे-धीरे चलने पर भी जित जाता है,

कहानी कि पहली सीख
(First moral of story)
दोस्तों जीतता वही है जो लगातार पूर्ण समर्पण के साथ काम करता है,
Just like as tortoise.

आपने ऐसे कई लोगों के बारे में सुना होगा जिनके बारे मन जाता रहा कि वह शायद ही कभी तरक्की कर पायेगा लेकिन वो आज बहुत ही तरक्की कर रहा हे और हर रोज नए मुकाम तय कर रहा है, और जिनके बारे में ऐसा सोचते थे कि ये बहुत success होगा वो आज आम जिन्दगी जी रहा है.

तो दोस्तों खरगोश कि हार हुई थी सेंकडो सालों पहले, और खरगोश जाती तब से लेकर शर्मिंदा थी, और अब जब २१वीं शताब्दी आ गयी वे बेचारे मुंह उठा कर चल नहीं पाते थे, क्योंकि हर रोज Facebook, twitter जैसी social sites पर उनका जीना मुहाल हो रखा था, और इसलिए बेचारे घने जंगलों में जाकर रहने लगे तब एक दिन खरगोश कोंम ने अपनी मजाक उड़ती देख विरोध करना शुरू किया और आपात काल में खरगोश कोंम ने कछुओं के साथ बैठक करने फैसला किया | लेकिन कछुओं ने आने से इनकार कर दिया, क्योंकि कछुएं आगे कि सोच रहे थे.

कहानी कि दूसरी सीख
(Second Moral of Story)
                                         अगर एक बार अपने से ज्यादा शक्तिशाली दुश्मन से जित भी जाओ
                                         तो घमंड मत करना क्योंकि किस्मत हर बार मेहरबान नहीं होती  
                                                            दुश्मन बार-बार ये गलती नहीं करेगा. 

अब जब कछुओं ने मना कर दिया तो उन्होंने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और भारी approach लगा कर, जन समर्थन जुटाया, high court में केस किया और कछुओं को मजबूर कर दिया फिर से दौड़ने के लिए.
तब कछुऐ तैयार हुए पर अपनी एक शर्त पर की दौड़ का रास्ता वो लोग तय करेंगे.
खरगोश तैयार हो गए. और ठीक समय पर दौड़ शुरू हो गई. खरगोश ने सोचा कि रास्ता तय करने से क्या होगा काम तो speed आएगी. बड़े बे मन से एक बुद्धिमान कछुआ दौड़ने को तैयार हुआ, पर उसने Google map का सहारा लेकर ऐसा रास्ता तय किया जिसके बीच में नदी आती थी. (Technology का जमाना है भई).

कहानी कि तीसरी सीख
(Third Moral of Story)
जब कोई कम का करना तय हो जाए तो अपनी बुद्धि का प्रयोग करके ऐसा Planबनाओ कि जिसे आप जित सकें.

खरगोश कोंम ने कसम खाई कि कुछ भी इस बार जीतना ही है, और एक नौजवान खरगोश को चुना, और उसे कसम खिलाई कि तुम्हें रास्ते में नहीं रुकना चाहे कुछ भी हो जाये. खरगोश बहुत तेजी से दौड़ा और जैसे वह नदी के किनारे पहुंचा तो हक्का-बक्का रह गया उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि कछुआ इतनी जबरदस्त चाल चलेगा. और बेचारा सोचने लगा कि इस बार कि हार के बाद तो social media पर जबरदस्त मजाक बनेगी. काफी देर तक सोचता रहा लेकिन कोई रास्ता नहीं सुजा क्योंकि उसे तैरना नहीं आता था.

कहानी कि चौथी सीख
(Fourth Moral of Story)
कभी भी अपने सामने वाले को कमजोर  समझोअगर आप चाल चल सकते हो तो वो भी चल सकता है.

जब तक वो सोचता रहा था कछुआ भी आ गया और खरगोश को देखकर मुस्कराया. खरगोश शर्म के मारे कुछ नहीं बोला. इतने में ही वहाँ शेर आ पहुँचा क्योंकि वो इसका live telecast देख रहा था और वो जंगल का राजा था, उसने उन दोनों से कहा कि वो दोनों उसके साथ दौड़ लगाये नहीं तो मैं तुम्हें मार दूंगा और खा जाऊंगा. एक छोटी सी दौड़ के कारण तुम्हारी कहानी हर जगह सुनाई जाती है बहुत सारी जगह छापी जाती है, और अब से इस कहानी में मैं आना चाहता हूँ,
उस वक्त खरगोश और कछुए ने शेर से कहा कि हम थोड़ा सोचना चाहतें हैं.
फिर आपस कि राय से उन्होंने निर्णय लिया कि बिना दौड़े मरने से तो अच्छा है कि दौड़कर जितने का प्रयास किया जाये.
कहानी कि पाँचवीं सीख
(Fifth Moral of Story)
जब तगड़ा दुश्मन सामने हो तो हौसला हार कर समर्पण करने से अच्छा है किआखिरी साँस तक लड़ा जाएकोण जाने कब किस्मत साथ दे जाए और परिस्थितियां बदल जाऐ.


खरगोश और कछुए ने कहा- महाराज हम तो छोटे है, आपके सामने हमारी कोई हैसियत नहीं है इसलिए दौड़ का रास्ता हमें चुनने दे. शेर ने अहंकार वश कहा कि- ठीक है, ठीक है. कल सुबह तैयार हो जाना दौड़ के लिए.
पुन: दौड़ उसी पुरानी जगह से शुरू हुई. नदी तक खरगोश ने कछुए को अपनी पीठ पर बिठा कर तेज आया और फिर कछुए ने खरगोश को अपनी पीठ पर बिठा कर नदी पार करा दी और दौड़ जित गए.

कहानी कि छठी सीख
(Sixth Moral of Story)
अगर कोई बड़ा या बहुत ताकतवर वह तो इसका मतलब यह नहीं कि वही जीतेगा

कहानी कि सातवीं सीख
(Seventh Moral of Story)
जब सामने ताकतवर दुश्मन हो तो Teem बनाकर कर सामना करें.

 कहानी कि आठवीं सीख
(Eighth Moral of Story)
यदि आपकी कोई कमी आपके साथी कि खूबी हो और उसकी कमी आपकी खूबी हो तो इससे अच्छी जोड़ी कोई दूसरी नहीं,

और शेर अपनी हार से बोखलाया हुआ किनारे पर ही रह गया क्योंकि शक्तिशाली होने पर भी वह उस बड़ी नदी को पार नहीं कर सकता था. और अहंकार वश हार गया और अब वो दोनों ही जीत का जशन मना रहे थे और अब social sites और media में दोनों कि खूब तारीफ हो रही थी.

कहानी कि नवीं सीख
(Ninth Moral of Story) 
कभी भी अहंकार मत करोअहंकार के कारण आपका समाज में मजाक बन सकता है .

कहानी कि दसवीं सीख
Tenth Moral of Story)
जिंदगी में कभी भी दूसरों कि कामयाबी से जलो मत .

इन जबरदस्त सूत्रों को अपनी जिन्दगी में उतार कर आप अपनी सफलता के प्रतिशत में बहुत सारा सुधार ला सकते हो.  और अपनी जिंदगी में जबरदस्त बदलाव ला सकते हो, और दोस्तों कभी भी जिन्दगी में कैसी भी परिस्थितियां हो धैर्य (Patience) के साथ कम करो और और अपना प्लान बनाकर रखो कि कब क्या करना है. जिंदगी में एक बात कि गाँठ बाँध लो कि मैं कभी भी अहंकार नहीं करूँगा और कभी भी किसी और कि सफलता से नहीं जलूँगा.
दोस्तों आपको ज्ञात हो तो एक तथ्य यह है कि लोग दूसरों कि वजह से ज्यादा दुःखी रहते है, और जो अपने पास है उससे संतुष्ट नहीं होते .लोग अकसर ये देखते है कि मेरे पड़ोसी के पास ये है वो हैं ,उसने इतनी तरक्की कर ली .उसने यह कर लिया वो कर लिया. दोस्तों जब आपके पास सेकड़ो कारण है खुश रहने के तो आप दूसरों से न जलें और न ही आप अपनी तुलना किसी और से कर सकते है .

अब आपके उपर है कि आप इस कहानी ये कुछ सीखते हो या नहीं.
अगर आप नहीं सीखते हो तो मैं दौसी हूँ आपको न समझा पाने के लिए और आप दौसी है  अपने मन का मतलब निकालने के लिए.आप चाहे मानो या ना मानो, सब आपके उपर है .

Thank you very Much

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