पेड़ो से सीखिए
एक व्यक्ति मंदिर के लिए फूल तोड़ रहा था । कई पेड़ो से कई तरह के फूल एकत्रित किए – उन फूलो के साथ भूल वश कुछ कलिया भी तोड़ दी, फूल तोड़ते समय उसने एक डाली भी तोड़ डाली
- अब वो भजन गाता मंदिर को चला गया । बगीचे के पेड़ बड़े क्रुद्ध हुए और एक बुजुर्ग पेड़ से शिकायत की, देखो उस आदमी ने फूल के साथ कलिया और डाली भी तोड़ डाली ।
बूढ़ा पेड़ मुस्कराया और बोला - जो उसने किया वो उसका कार्य था और फूल, फल देना हमारा कर्तव्य,
कभी-कभी कर्तव्य पथ पर लोग चोटिल भी कर देते है हम फिर भी मुस्कराते हुए आगे बढ़ते है और पुनः अपना स्वरूप प्राप्त कर लेते है
- प्रकृति हमें नयी डालियों और फूलो से लाद देती है इसलिए कभी रुष्ट मत हो कष्ट सहो क्योंकि जिसमें देने की सामर्थ्य है वो कभी खाली नहीं होता, इसलिए प्रभु से यही प्रार्थना करना की प्रभु जीवन में हमेशा देने की भावना बनी रहे ।
सही भी है मित्रों पेड़ ज़िन्दगी भर - फल,
फूल, छाव देते है और अपनी मृत्यु के बाद अपनी काया भी समर्पित कर देते है – लेकिन मनुष्य कभी उनसे सीख नहीं पाता बस अपने ही संग्रह में लगा रहता है .
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Note: - आपके साथ साझा कि गई ये प्रेरणात्मक कहानी (inspirational
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ये कहानी बहुत बार पढ़ी है और सुनी है और मैंने यहाँ पर केवल इसका हिन्दी रूपांतरण
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