साधु की सीख

साधु की सीख

सेठ घनश्याम दास बहुत बड़ी हवेली में रहता था। उसके तीन लड़के थे। पैसा, नौकर, चाकर, घोड़ा गाड़ी तो थी ही, मगर उसे अपने ख़ज़ाने में सबसे अधिक प्यार अपने 17 हाथियों से था। हाथियों की देखरेख में कोई कसर रह जाए, इस बात का उसे बहुत ख़्याल था। उसे सदा यही फिक्र रहता था कि उसके मरने के बाद उसके हाथियों का क्या होगा। समय ऐसे ही बीतता चला गया और सेठ को महसूस हुआ कि उसका अंतिम समय अब अधिक दूर नहीं है। उसने अपने तीनों बेटों को अपने पास बुलाया और कहा कि मेरा समय गया है। मेरे मरने के बाद मेरी सारी जायदाद को मेरी वसीयत के हिसाब से आपस में बाँट लेना। एक बात का ख़ास ख़्याल रखना कि मेरे हाथियों को किसी भी किस्म की कोई भी हानि हो। कुछ दिन बाद सेठ स्वर्ग सिधार गया। तीनों लड़कों ने जायदाद का बंटवारा पिता की इच्छा अनुसार किया, मगर हाथियों को लेकर सब परेशान हो गए। कारण था कि सेठ ने हाथियों के बंटवारे में पहले लड़के को आधा, दूसरे को एक तिहाई और तीसरे को नौवाँ हिस्सा दिया था। 17 हाथियों को इस तरह बाँटना एकदम असम्भव लगा। हताश होकर तीनों लड़के 17 हाथियों को लेकर अपने बाग में चले गए और सोचने लगे कि इस विकट समस्या का कैसे समाधान हो। तभी तीनों ने देखा कि एक साधु अपने हाथी पर सवार, उनकी ही ओर रहा है। साधु के पास आने पर लड़कों ने प्रणाम किया और अपनी सारी कहानी सुनाई। साधु ने कहा कि अरे इस में परेशान होने की क्या बात है। लो मैं तुम्हें अपना हाथी दे देता हूँ। सुनकर तीनों लड़के बहुत खुश हुए। अब सामने 18 हाथी खड़े थे। साधु ने पहले लड़के को बुलाया और कहा कि तुम अपने पिता की इच्छा अनुसार आधे यानी नौ हाथी ले जाओ। दूसरे लड़के को बुलाकर उसने एक तिहाई यानी : हाथी दे दिए। छोटे लड़के को उसने बुलाकर कहा कि तुम भी अपना नौवाँ हिस्सा यानी दो हाथी ले जाओ। नौ जमा : जमा दो मिलाकर 17 हाथी हो गए और एक हाथी फिर भी बचा गया। लड़कों की समझ में यह गणित बिलकुल नहीं आया और तीनों साधु महाराज की ओर देखते ही रहे। उन सब को इस हालत में देखकर साधु महाराज मुस्कराए और आशीर्वाद देकर तीनों से विदा ले, अपने हाथी पर जिस दिशा से आए थे, उसी दिशा में चले गए। इधर यह तीनों सोच रहे थे कि साधु महाराज ने अपना हाथी देकर कितनी सरलता और भोलेपन से एक जटिल समस्या को सुलझा दिया।

मित्रों इस कहानी में जो बात बताई गई है उसी को अगर हम अपने दैनिक जीवन में लागू करके समस्त जटिल समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न करे तो यह संसार स्वर्ग बन सकता है.
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Note: - आपके साथ साझा कि गई ये प्रेरणात्मक कहानी (inspirational story) मेरी स्वयं कि कृति नहीं हैमैंने ये कहानी बहुत बार पढ़ी है और सुनी है और मैंने यहाँ पर केवल इसका हिन्दी रूपांतरण प्रस्तुत किया है.

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